Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि आज, गोडसे ने प्रार्थना सभा में जाते वक्त मारी थी गोली

Mahatma Gandhi Death Anniversary: नाथूराम गोडसे ने बंन्दूक से महात्मा गांधी को तीन गोली मारी थी. जिसके बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मृत्यु हो गई. बता दें गोडसे ठीक उसी जगह खड़ा हो गया था, जहां से महात्मा गांधी को गुजरना था

Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि आज, गोडसे ने प्रार्थना सभा में जाते वक्त मारी थी गोली
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Mahatma Gandhi Death Anniversary: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. उन्हें प्यार से हम बापू गांधी भी कहते हैं. जिस वक्त बापू की हत्या हुई उस वक्त उनकी उम्र 78 साल थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 76वीं पुण्यतिथि है. नाथूराम विनायक गोडसे ने महात्मा गांधी को तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी थी.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन परिचय 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात रे पोरबंदर में हुआ था. राष्ट्रपिता के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था. महात्मा गांधी के दो भाई और बहनें थीं जिसमें महात्मा गांधी सबसे छोटे थे. महात्मा गांधी पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे, लेकिन महात्मा गांधी की अंग्रेजी काफी अच्छी थी.

अखिर किसने दी बापू की उपाधि
6 जुलाई 1944 को महात्मा गांधीजी को बापू की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी. बता दें, जब गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का निधन हुआ था तब यह नाम उन्हें मिला था. ''बापू''  का मतलब ''पिता'' होता है. सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रपिता के बीच हमेशा वैचारिक मतभेद थे. लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने हमेशा महात्मा गांधी का सम्मान किया. 6 जुलाई 1944 में रंगूर रेडियो स्टेशन में अपने भाषण में सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर बुलाया था.

30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था?
गांधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी. इसी दिन नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को 3 गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी. आखिर उस दिन क्या हुआ था. चलिए हम आपको बताते हैं.  30 जनवरी 1948 को  महात्मा गांधीजी के दिन शुरुवात एक आम दिन की तरह हुई. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने सरदार पटेल से 5 बजकर 10 मिनट पर बातचीत खत्म हुई. लेकिन इसी दिन गांधीजी को प्रार्थना सभा पहुंचने में दो घंटे देर हो गई थी.

दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा को संबोधित करने प्रार्थना स्थल पर गांधीजी पहुंचे, तो खाकी कपड़ा पहने एक नौजवान भीड़ में से गांधीजी की तरफ प्रणाम करने को झुका. वह शख्स नाथूराम गोडसे था. उसी दौरान गोडसे ने अपनी बंन्दूक निकाली और एक के बाद एक 3 गोलियां चला दीं. दो गोली 7 महात्मा गांधी के बदन को छू कर निकल गई, लेकिन एक गोली उनके शरीर में ही अटक गई. गोली लगते ही उसी वक्त गांधी जी का निधन चुका था. महात्मा गांधी के मुंह से आखिरी शब्द निकला "हे राम."
 
जिस दिन महात्मा गांधी का निधन हुआ था, उसे देशवासी शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं, बापू की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी को देश शहीद दिवस के रूप में मनाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है.

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