मोटिवेशनल है कश्मीर के आरजे रफीक की कहानी पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट में

28 साल के रफीक का बचपन एक अनाथालय में बीता। बेहद कम उम्र में उनको अपने बोलने की कला से ये महसूस हुआ कि उन्हेंे आरजे बनने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए । इसकी तैयारी के लिए वे अपनी ट्यूशन क्लायसेज तक को छोड़ देते थे। यह सफर इतना आसान नहीं था। 2008 में 10वीं के एग्जाम को पास करने के बाद म्यू जिक और रेडि‍यो की दुनिया की तरफ रफीक ने अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंंने सबसे पहले गोल्डीन वॉइस ऑफ कश्मीयर अवॉर्ड में सिंगिंग के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन दिक्कनत तब हुई जब वहां होस्ट ने इनका मोबाइल नम्बसर मांगा। 

मोटिवेशनल है कश्मीर के आरजे रफीक की कहानी पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट में
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मोहम्माद रफीक पीर कश्मीर के रॉकस्टार रेडियो जॉकी हैं, लेकिन जैसे जिन्दगी है तो संघर्ष का होना लाजमी है वैसे ही इनका सफर भी आसान नहीं रहा  और ऐसा इसलिए था क्योंकि रफिक एक अनाथालय में पले बढ़े हैं । लेकिन इन सब बातों को दरकिनार करते हुये सभी पॉजटीव एटीट्यूड सिखाने वाले रफीक कश्मीर ही नहीं पूरे भारत  के कुछ कर गुजरने वाले युवाओं के लिए आदर्श प्रेरणा बन कर सामने आ रहे है।


अपने काम को पूरी ईमानदारी के साथ करने वाले रफीक सामाजिक मुद्दों पर ऑडियंस को एक अलग ही तरह की गाइडेन्स देते है और ये सब वो अपने रेडियों प्रोग्रेम के जरिए करते है। युवाओं को मोटिवेट करने वाले प्रोग्रेम बनाकर वो हर उम्र के इंसान को जिन्दगी जीने का नया तरीका सीखाते है। हमेशा लोगों को पॉजिटिव रहने का ज्ञान देने वाले रफिक जिन्दगी को एक अलग नजरिए से देखते है।  


आरे जे बनने के लिए छोड़ी टयूशन क्लासेज

28 साल के रफीक का बचपन एक अनाथालय में बीता। बेहद कम उम्र में उनको अपने बोलने की कला से ये महसूस हुआ कि उन्हेंे आरजे बनने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए । इसकी तैयारी के लिए वे अपनी ट्यूशन क्लायसेज तक को छोड़ देते थे। यह सफर इतना आसान नहीं था। 2008 में 10वीं के एग्जाम को पास करने के बाद म्यू जिक और रेडि‍यो की दुनिया की तरफ रफीक ने अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंंने सबसे पहले गोल्डीन वॉइस ऑफ कश्मीयर अवॉर्ड में सिंगिंग के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन दिक्कनत तब हुई जब वहां होस्ट ने इनका मोबाइल नम्बसर मांगा। 
रफीक बताते हैं कि वो एक अनाथलय से है ये बात वो किसी बताना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने वॉर्डन का नम्बवर ये कहकर शेयर किया कि वो उनके पेरेंट्स का कॉटैक्टक नम्बर है। कुछ दिनों वाद मेरे वॉर्डन के पास उनका कॉल आया और उन्हेंक मेरे ऑडिशन की जानकारी मिली। यह जानकारी मिलने के बाद मेरी जबदरस्तआ पिटाई भी हुई।

रफीक बताते हैं कि, कॉलेज स्टीडी के दौरान उन्हें अनाथालय से पॉकेट मनी मिलती थी, लेकिन वो इससे ज्याैदा कमाना चाहते थे, क्यों कि करियर बनाने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने चुपके से एक मोबाइल फोन खरीदा और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विज्ञापनों के लिए वॉयस ओवर करना शुरू कर दिया ।

सामाजिक मुद्दों पर बात भी करते हैं और गाइड भी 

कश्मीिर के हंडवाड़ा निवासी रफीक ने करियर के शुरुआती दौर में बतौर होस्टद कई शोज किए। इनमें ‘वेलापंती’ शो काफी चर्चित रहा। इसके अलावा बतौर आरजे ‘भड़ास बॉक्सए’ नाम की पहल की। इंटरव्यूव और सोशल मीडिया के जरिए रफीक सामाजिक मुद्दों और कश्मीौर की म्यूकजिक इंडस्ट्रीऔ में उभरते युवाओं को लेकर खुलकर बात करते हैं और लोगों को गाइड भी करते हैं।

एक्टिंग में भी हाथ आजमाया

रफीक एक्टिंग में हाथ आजमा चुके हैं। ये 2018 में आई सज्जाकद अली की फिल्मड ‘लैला मजनू’ में दिख चुके हैं। इस फिल्मआ का स्क्री नप्लेल लिखा था मशहूर फि‍ल्मम डायरेक्टनर इम्तियाज अली ने। फिल्मों  के अलावा वो कई म्यूाजिक एल्बरम में भी नजर आ चुके हैं।

आरजे रफीक के अब तक के संघर्षभरे सफर पर नजर डालें तो यह लोगों को प्रेरित करने वाला है। रफीक ऐसे बैकग्राउंड से आए जहां एक बच्चेर को उसकी जरूरत की बुनियादी चीजें तक नहीं मिल पातीं। अपनी मेहनत के दम पर रफीक सफल हुए और एक मुकाम बनाया। उनके लिए उनका काम की उनका जीवन है। 
 

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