1632 में बने चश्मे शाही गार्डन को जब एक नजर देखेंगे तो मुंह से निकलेगी वाह खुबसुरत !

यह गार्डन, नेहरू मेमोरियल पार्क के आसपास के इलाके में मौजूद है जहां से हिमालय और डल झील का शानदार नज़ारा देखने को मिलता है. यहां फलों और फूलों की कई अलग-अलग नस्ल देखने को मिलती हैं. गार्डन में साफ पानी का झरना बहता है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके पानी में काफी औषधिय गुण हैं जो स्थानीय लोगों को काफी लुभाता है.

1632 में बने चश्मे शाही गार्डन को जब एक नजर देखेंगे तो मुंह से निकलेगी वाह खुबसुरत !
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Chashme Shahi Garden: चश्मे-शाही-गार्डन, श्रीनगर में मौजूद मुगलों द्वारा बनवाए गए कई मुगल गार्डनस में से एक है. इसके अलावा, इस गार्डन को रॉयल स्प्रिंग के नाम से भी जाना जाता है.  श्रीनगर में मौजूद शालीमार गार्डन और निशांत गार्डन में से सबसे छोटा मुगल गार्डन है, जो एक एकड़ के इलाके में फैला हुआ है. इस गार्डन को 1632 में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने सबसे बड़े बेटे “दारा शिख़ो” के लिए गिफ्ट के तौर पर बनवाया था.

क्यों है ख़ास?
यह गार्डन, नेहरू मेमोरियल पार्क के आसपास के इलाके में मौजूद है जहां से हिमालय और डल झील का शानदार नज़ारा देखने को मिलता है. यहां फलों और फूलों की कई अलग-अलग नस्ल देखने को मिलती हैं. गार्डन में साफ पानी का झरना बहता है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके पानी में काफी औषधिय गुण हैं जो स्थानीय लोगों को काफी लुभाता है.

कैसे मिला ये नाम?
चश्मे शाही को इसका नाम उस सोत से मिला है जिसे कश्मीर की मशहूर महिला संत “रूपा भवानी” ने ढ़ूँढा था. रूपा भवानी कश्मीर के साहिब कुन्बे से ताल्लुक रखती थीं, जो कश्मीरी पंडित थे. रूपा भवानी को घर में साहिब के नाम से बुलाया जाता था, इसी के चलते सोत को पहले चश्मे साहिबी के नाम से जाना जाता था. जैसे-जैसे वक़्त बीतता गया, चश्मे साहिबी को चश्मे शाही या रॉयल स्प्रिंग के नाम से जाना जाने लगा. अगर आप कुदरत की खूबसूरती के साथ पुराने वक्त के इस खूबसूरत गार्डन के दीदार करना चाहते हैं तो “मार्च से नवंबर” महीने के बीच जा सकते हैं. हर साल लगभग एक लाख विज़िटर्स यहां घूमने आते हैं. यह श्रीनगर हवाई अड्डे से 22 कि.मी. की दूरी पर है जबकि इसके सबसे करीब रेलवे स्टेशन जम्मू तावी है.

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